इतिहास के पन्नों में कुछ नाम ऐसे दर्ज हैं, जो केवल अपने शासनकाल के लिए नहीं, बल्कि अपने कार्यों और विरासत के लिए अमर हो गए। ऐसा ही एक नाम है शाहजहाँ। मुग़ल साम्राज्य के इस महान शासक (Shahjahan) ने न केवल भारत में अपनी ताकत का लोहा मनवाया, बल्कि अपने निर्माण कार्यों से स्थापत्य कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। शाहजहाँ का शासनकाल “मुग़ल वास्तुकला के स्वर्ण युग” के रूप में जाना जाता है। उनकी बनाई इमारतें आज भी भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का गौरव बढ़ाती हैं।
शाहजहाँ का जन्म 5 जनवरी 1592 को लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। उनका असली नाम खुर्रम था। वे मुग़ल सम्राट जहाँगीर और उनकी पत्नी जगत गोसाई (जोधपुर के राजा उदयसिंह की पुत्री) के पुत्र थे। बचपन से ही खुर्रम ने अपनी बुद्धिमत्ता और नेतृत्व क्षमता से सभी को प्रभावित किया। उन्हें कला, संगीत, और स्थापत्य में विशेष रुचि थी।
Shahjahan: शासनकाल और निर्माण कार्य
Shahjahan ने 1628 से 1658 तक भारत पर शासन किया। उनका शासनकाल न केवल राजनीतिक स्थिरता का प्रतीक था, बल्कि कला, संस्कृति और वास्तुकला के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी साबित हुआ। उन्होंने कई भव्य इमारतों का निर्माण करवाया, जो आज भी भारतीय स्थापत्य कला की अद्वितीय मिसाल हैं।
ताजमहल (आगरा): शाहजहाँ का सबसे प्रसिद्ध निर्माण है ताजमहल, जिसे उन्होंने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया। यह सफेद संगमरमर से बना प्रेम का प्रतीक आज भी दुनिया के सात अजूबों में से एक है। इसकी नक्काशी, डिजाइन और स्थापत्य कला दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती है।

लाल किला (दिल्ली)
दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ (Shahjahan) के शासनकाल का एक और शानदार उदाहरण है। यह किला लाल बलुआ पत्थर से बना है और मुग़ल वास्तुकला की भव्यता को दर्शाता है। लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास जैसे भाग हैं, जो शाही दरबार और व्यक्तिगत बैठकों के लिए बनाए गए थे।

जामा मस्जिद (दिल्ली)
शाहजहाँ द्वारा निर्मित जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। इसकी विशालता और भव्यता आज भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को प्रभावित करती है। यह मस्जिद मुग़ल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें संगमरमर और लाल पत्थर का सुंदर संयोजन देखने को मिलता है।

आगरा का मोती मस्जिद
आगरा स्थित मोती मस्जिद को शाहजहाँ ने अपने शासनकाल के दौरान बनवाया। इसे “मोती” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका आंतरिक भाग सफेद संगमरमर से बना है, जो मोती की तरह चमकता है। यह मस्जिद शाही परिवार के लिए प्रार्थना स्थल के रूप में उपयोग होती थी।

शाहजहाँ का योगदान और अच्छा काम
- कला और संस्कृति का संवर्धन: शाहजहाँ ने स्थापत्य कला को प्रोत्साहन दिया और अपने शासनकाल में कलाकारों, शिल्पकारों और वास्तुकारों को विशेष संरक्षण दिया।
- शांति और न्याय: उनके शासनकाल में न्यायप्रियता को प्राथमिकता दी गई। उन्होंने अपने दरबार में सभी धर्मों के प्रति समानता का भाव रखा।
- व्यापार और अर्थव्यवस्था: शाहजहाँ के समय में भारत में व्यापार और अर्थव्यवस्था का भी विस्तार हुआ। उनके शासनकाल में भारत को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था।
अंतिम समय और मृत्यु
शाहजहाँ का अंतिम समय संघर्षपूर्ण था। उनके पुत्र औरंगज़ेब ने उन्हें 1658 में सत्ता से हटाकर आगरा के किले में नजरबंद कर दिया। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम 8 साल वहीं बिताए। उनकी मृत्यु 22 जनवरी 1666 को हुई और उन्हें ताजमहल में उनकी पत्नी मुमताज़ महल के बगल में दफनाया गया।
Shahjahan का नाम इतिहास में उनकी न्यायप्रियता, कला प्रेम और स्थापत्य कला के लिए सदैव याद किया जाएगा। उनकी बनाई इमारतें न केवल उनकी महानता का प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास का भी अभिन्न हिस्सा हैं। शाहजहाँ ने जो धरोहर हमें सौंपी है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और गर्व का विषय बनी रहेगी।