Moustache Competition in Pushkar Mela

Pushkar Mela: भारत के इस मेले में होती है मूंछों की अनूठी प्रतियोगिता

Pushkar Mela: भारत के विभिन्न राज्यों में मर्दानगी और आत्मसम्मान का प्रतीक मानी जाने वाली मूंछों की अपनी खास पहचान है। पुष्कर मेले में हर साल आयोजित होने वाली मूंछ प्रतियोगिता इस गौरवशाली परंपरा का सबसे बड़ा उदाहरण है। राजस्थान के इस विशेष आयोजन ने ना केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी खास पहचान बनाई है। यह मेला भारतीय संस्कृति और परंपरा का ऐसा दर्पण है जिसमें सांस्कृतिक विविधता और मौलिकता की झलक मिलती है। मूंछ प्रतियोगिता इस मेले का एक मुख्य आकर्षण है, जहाँ पुरुष अपने विशेष अंदाज़ में सजी मूंछों का प्रदर्शन करते हैं।

पुष्कर मेला, जिसे ऊँट मेला भी कहा जाता है, हर साल राजस्थान के अजमेर जिले में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होता है। यह मेला कार्तिक माह के अंत में लगभग 7 से 10 दिन तक चलता है, जो आमतौर पर नवंबर में पड़ता है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा ऊँट मेला माना जाता है, जहाँ करीब 30,000 से ज्यादा ऊँट, घोड़े, गायें और अन्य पशुओं का व्यापार होता है। पुष्कर मेला का मुख्य आयोजन स्थल पुष्कर झील के किनारे होता है, जो खुद भी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है।

पुष्कर मेले में मूंछ प्रतियोगिता: एक अनूठी परंपरा

इस अनोखी प्रतियोगिता में राजस्थान के साथ-साथ अन्य राज्यों के लोग भी शामिल होते हैं, जहाँ प्रतिभागी अपनी लंबी, घनी और विशेष तरह से सजी मूंछों का प्रदर्शन करते हैं। इस प्रतियोगिता में मूंछों की लंबाई, घनत्व, और उसकी बनावट को ध्यान में रखकर प्रतिभागियों को अंक दिए जाते हैं। मूंछें भारतीय पुरुषों के लिए ना केवल एक शारीरिक विशेषता है बल्कि एक सम्मान का प्रतीक भी मानी जाती हैं। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले पुरुष मूंछों की देखभाल और साज-सज्जा में भी खासा ध्यान देते हैं और यह प्रतियोगिता पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुकी है।

Pushkar Mela: मुख्य आकर्षण

Pushkar Mela (File Photo)
Pushkar Mela (File Photo)
  1. ऊँट मेला और सजावट प्रतियोगिता
    पुष्कर मेला मुख्य रूप से ऊँटों के व्यापार और उनकी सजावट के लिए प्रसिद्ध है। इस मेले में ऊँटों को रंग-बिरंगे कपड़ों, गहनों और विभिन्न पारंपरिक सजावटों से सजाया जाता है। यहाँ ऊँटों की सजावट प्रतियोगिता होती है जिसमें सबसे सुंदर सजे ऊँट को पुरस्कार दिया जाता है। ऊँट दौड़ और ऊँट नृत्य भी इस आयोजन का हिस्सा हैं, जो मेले की रौनक को और भी बढ़ा देते हैं।
  2. मूंछ प्रतियोगिता: भारतीय मर्दानगी का प्रतीक
    पुष्कर मेले की मूंछ प्रतियोगिता ना केवल भारतीय पुरुषों के लिए, बल्कि विदेशी पर्यटकों के लिए भी एक अनोखा आकर्षण है। इसमें विभिन्न उम्र के पुरुष अपनी लंबी, घनी और अनोखी मूंछों के साथ भाग लेते हैं। प्रतियोगिता के दौरान प्रतिभागी अपनी मूंछों को अलग-अलग रूप में मोड़ते और सजाते हैं। मूंछ प्रतियोगिता भारतीय मर्दानगी, आत्मगौरव और परंपरा का एक अद्वितीय संगम है, जो विदेशी पर्यटकों को भी खासा आकर्षित करता है।
  3. पारंपरिक राजस्थानी सांस्कृतिक कार्यक्रम
    पुष्कर मेला राजस्थानी लोक संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन है। यहाँ परंपरागत राजस्थानी नृत्य, गीत-संगीत, कठपुतली शो, और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जो मेले को रंगीन और उत्साहपूर्ण बनाते हैं।
  4. पशु व्यापार और प्रतियोगिताएँ
    पुष्कर मेले में ऊँटों के अलावा, घोड़ों, गायों और अन्य पशुओं का भी व्यापार होता है। पशुओं की खूबसूरती और उनकी सेहत का विशेष ध्यान रखा जाता है और कई बार इन पशुओं की कीमत लाखों रुपये तक पहुँच जाती है। पशुओं की अलग-अलग प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पशु व्यापारी अपने पशुओं को बेचने में सफल होते हैं।
  5. हस्तशिल्प और स्थानीय बाजार
    पुष्कर मेला पर्यटकों के लिए एक खरीदारी का बेहतरीन स्थल है। यहाँ राजस्थानी कला और हस्तशिल्प के अनोखे नमूने मिलते हैं। स्थानीय कारीगर अपने हाथों से बने पारंपरिक आभूषण, कपड़े, सजावटी वस्तुएं और अन्य चीजें बेचते हैं।

Pushkar Mela: अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

पुष्कर मेला ना केवल भारत बल्कि विश्वभर में अपनी पहचान बना चुका है। हर साल यहाँ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और कई अन्य देशों से पर्यटक आते हैं। विदेशी पर्यटकों के लिए यह मेला भारतीय संस्कृति, परंपराओं और ग्रामीण जीवनशैली को नज़दीक से देखने और समझने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करता है। इसके साथ ही पुष्कर मेला पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है।

समाज और युवाओं के लिए संदेश

पुष्कर मेला ना केवल एक सांस्कृतिक आयोजन है, बल्कि यह समाज और विशेष रूप से युवाओं के लिए एक संदेश भी है। यह मेला हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को संरक्षित रखने की प्रेरणा देता है। युवाओं को चाहिए कि वे भारतीय मेलों और उत्सवों में भाग लेकर अपनी संस्कृति को समझें और उसे आगे बढ़ाएं।

पुष्कर मेला भारतीय संस्कृति का प्रतीक

Pushkar Mela केवल एक मेला नहीं, बल्कि यह भारतीयता, विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यहाँ हर रंग, हर परंपरा और हर आयोजन हमें यह एहसास कराता है कि भारतीय संस्कृति कितनी समृद्ध और बहुआयामी है। इस मेले में आकर लोग भारतीयता की भावना को महसूस करते हैं, जो ना केवल भारतीयों को बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर खींचती है।

पुष्कर मेला भारत की संस्कृति का एक ऐसा पर्व है, जो हर साल लाखों दिलों को जोड़ता है और भारतीय धरोहर को जीवंत बनाए रखता है।

Ashish Azad

आज़ाद पत्रकार.कॉम, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जानकारियों और उनके विश्लेषण को समझने का बेहतर मंच है। किसी भी खबर के हरेक पहलू को जानने के लिए जनता को प्रोत्साहित करना और उनमे जागरूकता पैदा करना।

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