Pulwama Attack: 14 फरवरी 2019, भारतीय इतिहास का वह काला दिन जब पुलवामा में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद देशभर में आक्रोश की लहर दौड़ गई, लेकिन इतने साल बाद भी एक बड़ा सवाल अब तक अनुत्तरित है—यह हमला रोका क्यों नहीं जा सका? आखिर देश की खुफिया एजेंसियां और सुरक्षा बल इस बड़े हमले का अंदाजा क्यों नहीं लगा सके?
Pulwama Attack: क्या खुफिया एजेंसियों की बड़ी चूक थी?
यह हमला कई स्तरों पर सुरक्षा तंत्र की गंभीर नाकामी को दर्शाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी लेकर सीआरपीएफ के काफिले से टकरा दी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी मात्रा में आरडीएक्स भारत में कैसे आया और कैसे आतंकियों ने इसे सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचाकर हमले के लिए इस्तेमाल किया?
- खुफिया एजेंसियों की सतर्कता पर सवाल:
2018 के अंत में ही इस तरह के हमले की आशंका जताई जा चुकी थी। फिर भी सुरक्षा बलों को यह अंदेशा क्यों नहीं हुआ कि इतनी बड़ी साजिश रची जा रही है?
सीआरपीएफ काफिले की सुरक्षा में चूक:
78 वाहनों का काफिला हाईवे पर जा रहा था, लेकिन उसे किसी हवाई निगरानी या विशेष सुरक्षा कवच क्यों नहीं दिया गया?
Pulwama Attack: बड़ी कार्रवाई और जांच रिपोर्ट क्यों नहीं आई?

इतना बड़ा आतंकी हमला (Pulwama Attack) होने के बावजूद, अब तक कोई विस्तृत और निष्पक्ष जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई।
एनआईए जांच की धीमी गति
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने इस हमले की जांच की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन पांच साल बाद भी कोई विस्तृत रिपोर्ट या निष्कर्ष जनता के सामने नहीं रखे गए।
साजिश में शामिल नाम क्यों नहीं सार्वजनिक किए गए?
अगर हमले में लोकल नेटवर्क शामिल था, तो अब तक कितने दोषियों को पकड़ा गया? कितने को सजा मिली? सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की ओर से इस पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई।
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का दावा: क्या सरकार ने अनदेखी की?

उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने खुद दावा किया था कि उन्होंने गृह मंत्रालय से सुरक्षा बलों के लिए विमान की मांग की थी, लेकिन यह मांग ठुकरा दी गई।
अगर विमान मिल जाता, तो शायद जवान बच सकते थे

मलिक के अनुसार, सीआरपीएफ जवानों को सड़क मार्ग से ले जाने के बजाय हवाई मार्ग से भेजा जाता, तो यह हमला रोका जा सकता था। यह बयान सीधे तौर पर सरकार की चूक की ओर इशारा करता है।
सरकार ने मलिक के दावों पर अब तक कोई सफाई क्यों नहीं दी?
अगर मलिक झूठ बोल रहे थे, तो सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी?
पुलवामा के बाद ‘बालाकोट स्ट्राइक’: क्या असली मुद्दों से ध्यान हटाया गया?
पुलवामा हमले के कुछ ही दिनों बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक की। इस कार्रवाई को पाकिस्तान को जवाब देने के तौर पर पेश किया गया, लेकिन यह सवाल भी उठता है:
- क्या एयरस्ट्राइक का इस्तेमाल पुलवामा की खुफिया चूक से ध्यान भटकाने के लिए किया गया?
- पुलवामा हमले के पीछे के असली मास्टरमाइंड और स्थानीय नेटवर्क पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया?
Pulwama Attack: जनता जवाब मांगती है
आज पांच साल बाद भी पुलवामा हमले से जुड़े कई अहम सवाल अनुत्तरित हैं। खुफिया एजेंसियों की विफलता पर कोई स्पष्ट रिपोर्ट क्यों नहीं आई? सत्यपाल मलिक के दावों की जांच क्यों नहीं हुई? आतंकियों को सहयोग देने वाले स्थानीय तत्वों पर कब बड़ी कार्रवाई होगी? जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते, तब तक पुलवामा की शहादत का इंसाफ अधूरा रहेगा।