Kotgarh Apple History: हिमाचल प्रदेश आज भारत में सेब उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब यहां सेब का नामोनिशान तक नहीं था? न फल थे, न बगीचे, न मंडियाँ। सिर्फ़ पहाड़ी बंजर ज़मीन और कठोर जीवनशैली। फिर आया एक ऐसा इंसान, जो न तो यहां का रहने वाला था, न ही कोई सरकार या व्यापारी—बल्कि एक मिशनरी, जो हिमाचल को एक नई पहचान देने वाला था।
यह कहानी है सैमुएल इवान स्टोक्स (Samuel Evans Stokes) की—एक अमेरिकी नागरिक जिसने भारत को अपनाया और हिमाचल की मिट्टी को सेब की मिठास से भर दिया।
सैमुएल स्टोक्स: वो परदेसी जिसने पहाड़ों से मोहब्बत की

साल था 1916। शिमला की ऊंची पहाड़ियों पर बसे कोटगढ़ (Kotgarh) गांव में सैमुएल स्टोक्स ने पहली बार सेब के पौधे लगाए। उस समय तक हिमाचल में स्थानीय किस्मों के खट्टे-मीठे जंगली फल ही उगाए जाते थे। लेकिन स्टोक्स अमेरिका से ‘रेड डिलीशियस’ (Red Delicious)प्रजाति के सेब के पौधे लेकर आए और उन्हें अपने फार्म पर उगाना शुरू किया।
यह एक सामाजिक प्रयोग जैसा था—क्योंकि इससे पहले किसी ने हिमाचल की ठंडी जलवायु में इस तरह के व्यावसायिक सेब की खेती का सपना नहीं देखा था।
Kotgarh Apple History: भारत का पहला सेब गांव
कोटगढ़ अब सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी प्रयोगशाला है जहां से भारत में सेब की खेती की शुरुआत हुई। सैमुएल स्टोक्स ने यह साबित किया कि हिमाचल की जलवायु और मिट्टी उत्तम गुणवत्ता के सेब उगाने के लिए आदर्श है। https://youtu.be/JFgnp0dTaFI
उनके प्रयासों से ही यहां के किसानों ने भी सेब की खेती (Kotgarh Apple History)को अपनाना शुरू किया और धीरे-धीरे यह एक पूर्ण कृषि आंदोलन बन गया।
Kotgarh: हिमाचल में सेब की खेती का विस्तार

स्टोक्स द्वारा लाई गई ‘रेड डिलीशियस’ किस्म से हिमाचल में बागवानी का एक नया अध्याय शुरू हुआ। जल्द ही रामपुर, ठियोग, जुब्बल, खड़ापत्थर, और रोहरू जैसे इलाकों में भी सेब की खेती फैलने लगी।
प्रमुख तथ्य:
हिमाचल में आज 1.75 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सेब की खेती होती है।
कुल फल उत्पादन में सेब की हिस्सेदारी 85% से अधिक है।
राज्य में हर साल औसतन 6-8 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है।
सेब ने बदली पहाड़ की अर्थव्यवस्था
सिर्फ स्वाद या स्वास्थ्य नहीं—सेब हिमाचल की आर्थिक रीढ़ बन गया है। हजारों परिवारों की आजीविका इससे जुड़ी हुई है। सेब उत्पादन ने न सिर्फ़ ग्रामीण जीवन को बेहतर किया, बल्कि बागवानी, ट्रांसपोर्ट, पैकेजिंग और कोल्ड स्टोरेज जैसे सेक्टरों में भी नौकरियां पैदा की हैं।
सरकारी सहयोग और योजनाएं
राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने भी बागवानी को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं:
एचपी एचओआरटीआईनेट (HP-HORTINET)
एकीकृत बागवानी मिशन (NHM)
सेब खरीद योजना
ऊंचाई आधारित सब्सिडी योजनाएं
Kotgarh Apple History: क्या आप जानते हैं? (Untold Facts)

सैमुएल स्टोक्स ने बाद में अपना नाम बदलकर सत्यानंद स्टोक्स रख लिया और स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ गए।
उन्होंने पहाड़ी किसानों के लिए बिना मुनाफे के सेब के पौधे बांटे और उन्हें प्रशिक्षित किया।
स्टोक्स के पौत्र वीरेंद्र स्टोक्स आज भी कोटगढ़ में सेब की खेती से जुड़े हैं।
Kotgarh Apple History: एक बीज जो बना पहचान का पेड़
हिमाचल में सेब की पहला बग़ीचा सिर्फ़ एक कृषि प्रयास नहीं था, यह एक आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्रांति थी। सैमुएल स्टोक्स की दूरदर्शिता और साहस ने पहाड़ों को एक नई पहचान दी—जहां अब हर पतझड़ की शुरुआत सेब के लालिमा से होती है