Farmer Crisis 2025: “पहाड़ी ढलानों पर जहां पहले वसंत में सेब के फूल मुस्कुराते थे, वहां इस बार सूखी टहनियां और टूटी हुई कलियां थीं। शिमला के किसान जो 40 वर्षों से बागवानी कर रहे हैं – परेशान हैं। ‘पहाड़ों का मौसम अब भरोसेमंद नहीं रहा,’ वे कहते हैं। ‘हर साल डर रहता है – न बारिश सही समय पर होती है, न बर्फबारी, और न ठंड टिकती है।’”

ये कहानी सिर्फ शिमला के किसान की नहीं, हिमाचल प्रदेश के हजारों किसानों की है। जलवायु परिवर्तन का असर अब सिर्फ वैज्ञानिक रिपोर्टों और सेमिनारों तक सीमित नहीं, बल्कि खेत-खलिहानों में साफ दिखने लगा है। राज्य की आर्थिक रीढ़ माने जाने वाले कृषि और बागवानी क्षेत्र को बदलते मौसम ने गंभीर संकट (Farmer Crisis 2025) में डाल दिया है।
हिमाचल प्रदेश में मौसम का असामान्य व्यवहार (2024-2025)
जनवरी-फरवरी 2025: सामान्य से 40% कम बर्फबारी, जिसके कारण बागवानी और रबी फसलों को नमी नहीं मिल पाई।
मार्च-अप्रैल 2025: असमय ओलावृष्टि और भारी बारिश ने फल और सब्जियों को नुकसान पहुंचाया।
मई 2025: समय से पहले गर्मी शुरू हो गई, जिससे टमाटर, मक्का और आलू की फसल पर असर पड़ा।
Farmer Crisis 2025: किन फसलों को हुआ कितना नुकसान?
- सेब की फसल (Apple Production)
प्रभावित जिले: शिमला, किन्नौर, कुल्लू, मंडी
नुकसान के कारण: कम बर्फबारी, फूल गिरना, असमय ओलावृष्टि
उत्पादन गिरावट: लगभग 30-40%
आर्थिक नुकसान: ₹500 करोड़ से अधिक
(स्रोत: बागवानी विभाग, हिमाचल प्रदेश रिपोर्ट – अप्रैल 2025) - टमाटर (Tomato Farming Crisis)
प्रभावित जिले: सोलन, सिरमौर, मंडी
नुकसान के कारण: बारिश से फसल गलना, वायरस संक्रमण
उत्पादन गिरावट: लगभग 50%
आर्थिक नुकसान: ₹60 करोड़
(स्रोत: राज्य कृषि निदेशालय) - मक्का और धान (Maize & Paddy)
प्रभावित जिले: ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर
समस्या: मानसून असंतुलन, सिंचाई की कमी
मक्का उत्पादन गिरावट: 25%
धान उत्पादन गिरावट: 18% - आलू (Potato)
प्रभावित क्षेत्र: कांगड़ा, मंडी
समस्या: कम ठंड के कारण रोग और फंगस
अनुमानित नुकसान: ₹20 करोड़
आधिकारिक आंकड़े और वैज्ञानिक रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) 2025 रिपोर्ट के अनुसार:

पिछले 5 वर्षों में औसत वर्षा में 12% की गिरावट
औसत तापमान में वृद्धि: 1.3 डिग्री सेल्सियस
ओलावृष्टि की घटनाओं में वृद्धि: 28%
बर्फबारी में गिरावट: 35%
किस जिले में कितनी तबाही?
Farmer Crisis 2025: जिला प्रमुख फसलें अनुमानित नुकसान (₹ में)
शिमला सेब ₹250 करोड़
सोलन टमाटर ₹40 करोड़
सिरमौर टमाटर, सेब ₹20 करोड़
मंडी आलू, मक्का ₹30 करोड़
ऊना धान, मक्का ₹25 करोड़
किन्नौर सेब ₹80 करोड़
Farmer Crisis 2025: सरकार की प्रतिक्रिया और राहत उपाय
- फसल राहत योजना (2025):
सेब और टमाटर के लिए ₹20,000 प्रति हेक्टेयर मुआवजा
धान और मक्का के लिए ₹10,000 प्रति हेक्टेयर
बागवानी विभाग द्वारा विशेष सहायता शिविर - फसल बीमा योजना का विस्तार:
सरकार ने अधिक किसानों को PMFBY (प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना) से जोड़ने का दावा किया है, लेकिन अभी भी कवरेज सीमित है। - जलवायु-स्थायी खेती का प्रशिक्षण:
राज्य कृषि विश्वविद्यालय व बागवानी बोर्ड किसानों को नई तकनीकों व मौसम आधारित खेती सिखा रहे हैं।
समाधान क्या हो सकता है?
जलवायु-अनुकूल बीजों का विकास
सटीक और स्थानीय मौसम पूर्वानुमान
माइक्रो-इरिगेशन और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा
फसल विविधता और स्मार्ट खेती (Smart Farming) को बढ़ावा
बीमा और वित्तीय साक्षरता बढ़ाना
हिमाचल प्रदेश में मौसम का मिजाज अब खेती के पक्ष में नहीं रहा। जलवायु परिवर्तन ने राज्य की पारंपरिक कृषि व्यवस्था(Farmer Crisis 2025) को गहरे संकट में डाल दिया है। यदि नीति निर्माताओं, वैज्ञानिक संस्थानों और किसानों ने मिलकर त्वरित और स्थायी कदम नहीं उठाए, तो आने वाले वर्षों में हिमाचल की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत दोनों खतरे में पड़ सकती हैं।