Delhi Elections 2025: दिल्ली चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के कई बड़े नेताओं—अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, विजय नायर और अब, सत्येंद्र जैन की जमानत ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। AAP इन गिरफ्तारियों को राजनीतिक प्रतिशोध और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का मामला बता रही है, जबकि विपक्ष, खासकर भारतीय जनता पार्टी (BJP), इसे AAP के भ्रष्टाचार का प्रमाण मान रही थी। अब चुनावी रणभूमि में यह सवाल उठ रहा है कि AAP का काम की राजनीति का दावा या भाजपा का आम आदमी पार्टी पर घोटालों का नैरेटिव, जनता किसके साथ जाएगी?।
AAP के बड़े नेताओं की गिरफ्तारी और उसकी पृष्ठभूमि
पिछले सालों में AAP के कई बड़े चेहरे, जिनमें मुख्यमंत्री केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पार्टी कम्युनिकेशन हेड विजय नायर शामिल हैं जिन पर भ्रष्टाचार और शराब नीति घोटाले के आरोप लगे है।
- सिसोदिया को दिल्ली की विवादित शराब नीति को लागू करने में अनियमितताओं के आरोप में CBI और ED ने गिरफ्तार किया।
- सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में हुई, जिससे पार्टी को स्वास्थ्य सुधारों के नैरेटिव पर चोट पहुंची।
- संजय सिंह की लोकसभा चुनाव से पूर्व की गयी गिरफ्तारी भी शराब घोटाले केस से संबधित थी।
- AAP के रणनीतिकार विजय नायर को भी शराब नीति घोटाले में प्रमुख भूमिका निभाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अब चुनाव से ठीक पहले इन सभी नेताओं की ज़मानत ने AAP को नई जान और भाजपा के भ्रष्टाचार-विरोधी नैरेटिव को चुनौती दी है।
सहानुभूति की लहर: AAP का नैतिक विजेता बनने का प्रयास
- AAP अपने प्रचार में यह दिखाने की कोशिश करेगी कि उसके नेताओं को राजनीतिक कारणों से फंसाया गया था। अरविंद केजरीवाल इसे एक जनता बनाम केंद्र सरकार की लड़ाई के रूप में प्रस्तुत करेंगे, जहां दिल्ली की चुनी हुई सरकार को कमजोर करने की साजिश रची गई।
- AAP यह प्रचार करेगी कि उसके नेताओं की जमानत इस बात का सबूत है कि एजेंसियों का इस्तेमाल बदले की भावना से किया गया।
- कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होगा, जिससे पार्टी का जमीनी अभियान तेज होगा।
भाजपा का भ्रष्टाचार नैरेटिव होगा कमजोर?
BJP ने इन गिरफ्तारियों को AAP की कथित भ्रष्टाचार की राजनीति के तौर पर पेश किया था। रिहाई के बाद भाजपा के लिए यह चुनौती होगी कि वह जनता को विश्वास दिला सके कि AAP के नेता दोषी हैं और बेल मिलने का मतलब बेकसूरी नहीं है।
- भाजपा यह प्रयास करेगी कि रिहाई के बावजूद जांच जारी है और चुनावी मैदान में इस मुद्दे को जिन्दा रखेगी।
- भाजपा का फोकस अब AAP की नीतियों के पीछे की पारदर्शिता पर सवाल उठाने पर होगा, ताकि जनता के बीच विश्वास का संकट पैदा हो।

AAP का चुनावी एजेंडा: काम की राजनीति को फिर से केंद्र में लाना
- अरविंद केजरीवाल अब चुनाव प्रचार के दौरान जनता को पिछले 10 सालों के काम की याद दिलाने की कोशिश करेंगे।
- शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सिसोदिया और जैन के कामों को प्रमुखता से उभारा जाएगा।
- केजरीवाल चुनावी सभाओं में यह कह सकते हैं कि काम करने वालों को फंसाया जाता है, जबकि देश में बेरोजगारी, महंगाई और महिला सुरक्षा जैसे असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है।
- आप के बेबाक और अडानी तथा मोदी पर लगातार निशाना साधने वाले आप राजयसभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी को AAP इस रूप में पेश करेगी कि विपक्षी दलों को राजनीतिक दबाव से चुप कराया जा रहा है।
विजय नायर और चुनावी रणनीति
विजय नायर, जिन्हें AAP के चुनावी अभियानों का मास्टरमाइंड माना जाता है, की रिहाई से पार्टी की चुनावी रणनीति को नया मोड़ मिलेगा।
- नायर की वापसी से सोशल मीडिया कैंपेन और जमीनी प्रचार दोनों में तेजी आएगी।
- AAP उन युवाओं और उद्यमियों तक पहुंचने का प्रयास करेगी, जो मुफ्त सुविधाओं और रोजगार योजनाओं से जुड़े मुद्दों पर पार्टी का समर्थन करते हैं।
Delhi Elections: BJP की रणनीति पर असर
भाजपा ने पिछले कुछ महीनों में AAP पर भ्रष्टाचार का हमला तेज कर रखा था। लेकिन अब जब पार्टी के प्रमुख नेता बाहर आ गए हैं, भाजपा को Delhi Elections चुनावी मुद्दों को फिर से परिभाषित करना पड़ेगा।
- भाजपा अब दिल्ली में कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा, और वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों पर जोर देगी।
- वह यह भी दावा करेगी कि AAP की मुफ्तखोरी की नीतियाँ दिल्ली के विकास को अवरुद्ध कर रही हैं।
Delhi Elections: कांग्रेस की वापसी की कोशिश

कांग्रेस, जो पिछले चुनावों में हाशिए पर चली गई थी, अब AAP की कमजोरियों का फायदा उठाने की कोशिश करेगी। पार्टी भ्रष्टाचार और शराब नीति को लेकर AAP के खिलाफ हमला तेज कर सकती है ताकि अपने खोए हुए वोटबैंक को वापस पा सके।
जनता का मूड: किसके पक्ष में जाएगी दिल्ली?
दिल्ली की जनता ने पिछले 10 सालों में AAP को बार-बार समर्थन दिया है, खासकर मुफ्त बिजली-पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण। ज़मानत पर बाहर आये हुए नेताओं को लेकर जनता में दो तरह की धारणा बन सकती है
- सहानुभूति और समर्थन: जनता यह मान सकती है कि AAP को काम करने की सजा दी गई।
- भ्रष्टाचार का संदेह: जनता के एक हिस्से को यह भी लग सकता है कि भ्रष्टाचार के आरोप सही हैं और चुनाव में इसका नुकसान AAP को हो सकता है।
Delhi Elections: संभावित नतीजे और निष्कर्ष
दिल्ली चुनाव में AAP नेताओं की रिहाई गहरी राजनीतिक उठा-पटक पैदा कर सकती है। यह चुनाव AAP के लिए साख बचाने और BJP के लिए AAP की नीतियों को कटघरे में खड़ा करने की लड़ाई बन गयी है।
- अगर AAP सहानुभूति लहर को बना पाती है, तो वह चुनावी मैदान में फिर से मजबूत वापसी कर सकती है।
- BJP को भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन अगर वह इसे कायम रखने में सफल होती है, तो AAP को नुकसान हो सकता है।
- कांग्रेस के पास इस बार मौका है कि वह AAP और BJP की टकराहट का फायदा उठाकर अपने वोटबैंक में सेंध लगाए।
अंततः चुनावी नतीजे इस बात पर निर्भर करेंगे कि जनता काम की राजनीति को अधिक महत्व देती है या काम में घोटालों के आरोपों को। यह चुनाव दिल्ली की राजनीति में नया अध्याय लिख सकता है, जहां जनता की उम्मीदों और राजनीतिक नैरेटिव की टकराहट निर्णायक साबित होगी।