Chyawanprash file photo

Chyawanprash: प्राचीन औषधि से आधुनिक सप्लीमेंट तक का सफर

Chyawanprash: “एक छोटा सा चम्मच, सेहत का भरपूर खज़ाना!” यह कथन आपको च्यवनप्राश की उस महिमा की याद दिलाता है, जो ना केवल भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा है, बल्कि स्वस्थ जीवन का प्रतीक भी। आज से कई हजारों वर्ष पूर्व आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे सेहत का रक्षक बताया गया था। सर्दियों में हमें बड़े-बुजुर्गों से सुनने को मिलता है कि कैसे च्यवनप्राश शरीर को ताकत और ऊर्जा देता है। लेकिन क्या कभी सोचा है कि च्यवनप्राश की उत्पत्ति कैसे हुई? यह कहां से आया और क्यों एक समय में लुप्तप्राय सा हो गया? और आज के आधुनिक सप्लीमेंट्स की तुलना में यह कितना लाभकारी है? आइए इस विशेष लेख में इन सवालों के उत्तर खोजते हैं।

Chyawanprash की उत्पत्ति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

च्यवनप्राश का नाम ऋषि च्यवन से जुड़ा हुआ है, जो एक प्राचीन भारतीय ऋषि थे। कहा जाता है कि ऋषि च्यवन वृद्धावस्था में थे और उन्हें फिर से यौवन प्रदान करने के लिए उनके लिए विशेष रूप से च्यवनप्राश का निर्माण किया गया था। आयुर्वेदिक ग्रंथ “चरक संहिता” में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है। इस चमत्कारी औषधि को बनाने के लिए करीब 50 विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों और अन्य सामग्रियों का मिश्रण किया गया, जिसमें प्रमुख सामग्री आंवला (Indian Gooseberry) है, जो विटामिन C का समृद्ध स्रोत है।

च्यवनप्राश के घटक और स्वास्थ्य लाभ

च्यवनप्राश में कई औषधीय जड़ी-बूटियाँ होती हैं, जिनमें आंवला, अश्वगंधा, गिलोय, शतावरी, पिप्पली, और शहद प्रमुख हैं। इन जड़ी-बूटियों का संयोजन इसे एक शक्तिशाली इम्यून बूस्टर, ऊर्जा प्रदान करने वाला और हृदय व पाचन तंत्र के लिए लाभकारी बनाता है।

  1. इम्यूनिटी बूस्टर: आंवला, विटामिन C से भरपूर होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।
  2. ऊर्जा में वृद्धि: अश्वगंधा और शतावरी जैसी जड़ी-बूटियाँ शरीर को ताकत देती हैं और मानसिक तनाव को कम करती हैं।
  3. पाचन में सुधार: पिप्पली और अन्य जड़ी-बूटियाँ पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक होती हैं।
  4. हृदय स्वास्थ्य: च्यवनप्राश में मौजूद घटक कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर हृदय को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

क्यों और कैसे लुप्त हुआ Chyawanprash

समय के साथ, औद्योगिक युग के आगमन के साथ ही च्यवनप्राश का चलन कम होने लगा। पारंपरिक औषधियों की जगह रासायनिक और आधुनिक दवाओं ने ले ली। इसके अलावा, लोगों की बदलती जीवनशैली, फास्ट-फूड संस्कृति, और तेजी से बदलती आवश्यकताओं के चलते च्यवनप्राश को लोग भूलने लगे।

आधुनिक सप्लीमेंट्स से तुलना

आज बाजार में कई आधुनिक सप्लीमेंट्स उपलब्ध हैं, जो शरीर को पोषण देने और इम्यून सिस्टम को बढ़ाने का दावा करते हैं। लेकिन क्या वे वास्तव में च्यवनप्राश के विकल्प हो सकते हैं?

प्राकृतिक बनाम रासायनिक: च्यवनप्राश पूरी तरह से प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का मिश्रण है, जबकि अधिकांश आधुनिक सप्लीमेंट्स में सिंथेटिक तत्व पाए जाते हैं, जो लंबे समय तक उपयोग में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

विटामिन्स और मिनरल्स की संतुलित मात्रा: Chyawanprash में कई तरह के विटामिन्स और मिनरल्स प्राकृतिक रूप में पाए जाते हैं, जो शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित किए जा सकते हैं। आधुनिक सप्लीमेंट्स में अक्सर पोषक तत्वों की अधिकता या कमी हो सकती है।

बच्चों और वृद्धों के लिए सुरक्षित: च्यवनप्राश को आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बच्चों से लेकर वृद्धों तक, सभी के लिए लाभकारी माना गया है। जबकि कई सप्लीमेंट्स का सेवन सभी आयु वर्ग के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता। लंबे समय तक उपयोग: च्यवनप्राश का सेवन लंबे समय तक करने पर भी कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, जबकि कई सप्लीमेंट्स में रासायनिक तत्व होने के कारण इसके लगातार उपयोग से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

आज के दौर में, जब स्वास्थ्य का संरक्षण और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना हमारी प्राथमिकता बन गया है, च्यवनप्राश का पुनः सेवन आवश्यक है। यह ना केवल हमारे पूर्वजों की देन है, बल्कि आधुनिक विज्ञान भी इसके लाभों की पुष्टि कर रहा है। जहां एक ओर च्यवनप्राश प्राकृतिक, सुरक्षित और प्रभावी है, वहीं आधुनिक सप्लीमेंट्स इसके विकल्प नहीं बन सकते। तो क्यों ना इस सर्दियों में हम भी Chyawanprash की उस समृद्ध परंपरा को अपनाएं और अपने जीवन में स्वास्थ्य और शक्ति का स्वागत करें?

Ashish Azad

आज़ाद पत्रकार.कॉम, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जानकारियों और उनके विश्लेषण को समझने का बेहतर मंच है। किसी भी खबर के हरेक पहलू को जानने के लिए जनता को प्रोत्साहित करना और उनमे जागरूकता पैदा करना।

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