Heart attack in Youth: पहले के जमाने में हार्ट अटैक का जिक्र बहुत कम सुना जाता था, और अगर होता भी था, तो यह बीमारी मुख्यतः बुजुर्गों तक ही सीमित रहती थी। हमारे दादा-परदादा की पीढ़ी में लोग सादा भोजन, प्राकृतिक दिनचर्या और शारीरिक परिश्रम से भरपूर जीवन जीते थे, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियाँ दुर्लभ थीं। उस समय का खान-पान भी देसी और पोषण से भरपूर होता था लेकिन जैसे-जैसे आधुनिकीकरण ने हमारे जीवन में कदम रखा, वैसे-वैसे हमारी जीवनशैली और आदतों में भी बदलाव आने लगे।
पारंपरिक भोजन को छोड़कर हम तेजी से फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड की तरफ आकर्षित होते गए। गाँवों की हवा में पलने-बढ़ने वाली जीवनशैली अब शहरों की भागदौड़ और तनाव से घिर गई है। इसके साथ ही नियमित शारीरिक गतिविधियों में कमी, अल्कोहल का बढ़ता उपयोग, और धूम्रपान ने दिल की बीमारियों के जोखिम को कई गुना बढ़ा दिया है।
अब हालत यह है कि हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारी का शिकार 30-40 साल के युवा भी तेजी से हो रहे हैं। जो समस्या कभी बुजुर्गों में आम मानी जाती थी, वह अब युवा पीढ़ी को भी अपनी चपेट में ले रही है। डॉक्टरों और शोधकर्ताओं का कहना है कि तनाव, खराब आहार, नींद की कमी और प्रदूषण ने दिल की बीमारियों को और बढ़ावा दिया है।
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि अगर हम इतने आधुनिक और उन्नत हो रहे हैं, तो क्यों हमारी सेहत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है? क्या आधुनिकता के साथ हम अपनी पुरानी परंपराओं और संतुलित जीवनशैली को खोते जा रहे हैं?
इस लेख में हम युवाओं में हार्ट अटैक (Heart attack in Youth) के बढ़ते मामलों पर गहराई से नज़र डालेंगे, सरकारी आंकड़ों और विशेषज्ञों की राय के माध्यम से कारणों का विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि कैसे स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हम इस संकट से बच सकते हैं।
Heart attack in Youth: युवा पीढ़ी में हृदय रोग की बढ़ती चुनौती
भारत में हृदय रोग, विशेष रूप से युवा उम्र में हार्ट अटैक के मामले चिंताजनक गति से बढ़ रहे हैं। हाल के वर्षों में, 30 से 45 वर्ष के आयु वर्ग में हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा कई गुना बढ़ा है। जो बीमारी पहले अधेड़ या बुजुर्ग उम्र में आम मानी जाती थी, वह अब कई युवा और सक्रिय जीवनशैली जीने वाले लोगों को भी प्रभावित कर रही है। आंकड़े बताते हैं कि देश में कुल मौतों का 28% हिस्सा हृदय रोगों के कारण होता है। इनमें एक बड़ा हिस्सा ऐसे लोगों का है जो अपेक्षाकृत कम उम्र के हैं। यह स्थिति स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय है, और इस पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।
भारत सरकार और स्वास्थ्य संगठनों के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि युवाओं में हृदय रोग (Heart attack in Youth) एक तेजी से बढ़ती हुई समस्या है।
नेशनल हेल्थ प्रोफाइल (NHP) 2022 के अनुसार, भारत में 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में हृदय रोगों के मामले 13% तक बढ़े हैं।
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट के अनुसार, हृदय संबंधी बीमारियों के कारण हर साल भारत में लगभग 20 लाख से अधिक मौतें होती हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की रिपोर्ट बताती है कि हृदय संबंधी बीमारियों से मरने वाले 25% लोग 40 साल से कम उम्र के हैं।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत की युवा जनसंख्या भी अब गंभीर हृदय रोगों की चपेट में आ रही है, जिसे नजरअंदाज करना मुश्किल है।
युवा उम्र में हार्ट अटैक (Heart attack in Youth) के बढ़ने के कारण
युवाओं में हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि के पीछे कई कारण हैं, जिनमें जीवनशैली, आहार और मानसिक स्वास्थ्य प्रमुख हैं
- अत्यधिक तनाव और अवसाद
- कॉर्पोरेट और शहरी जीवन में काम का दबाव और तनाव बढ़ता जा रहा है। मानसिक तनाव का सीधा असर ब्लड प्रेशर और दिल की सेहत पर पड़ता है।
- अनियमित जीवनशैली और नींद की कमी
युवाओं में देर रात तक जागना, नींद की कमी और अनियमित दिनचर्या से शरीर का संतुलन बिगड़ता है, जिससे दिल पर दबाव बढ़ता है। - जंक फूड और अस्वास्थ्यकर आहार
फास्ट फूड, अधिक तेल-युक्त भोजन और कम फाइबर वाले आहार के कारण कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है, जिससे धमनियों में रुकावट पैदा होती है। - धूम्रपान और अल्कोहल का बढ़ता सेवन
युवाओं में धूम्रपान और शराब का चलन बढ़ा है, जो हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाता है और हार्ट अटैक के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है। - फिजिकल एक्टिविटी की कमी: दिनभर बैठे रहना और शारीरिक गतिविधि में कमी का सीधा असर दिल की सेहत पर पड़ता है। यह मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं को भी बढ़ावा देता है।
- वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय कारक: प्रदूषित हवा में सांस लेने से भी दिल पर प्रतिकूल असर पड़ता है। विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता में गिरावट दिल की बीमारियों को बढ़ा रही है।
हार्ट अटैक से बचाव के उपाय और सावधानियां
- नियमित स्वास्थ्य जांच: ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर की नियमित जांच कराएं। अगर परिवार में हृदय रोग का इतिहास है, तो ECG और स्ट्रेस टेस्ट करवाना बेहद जरूरी है।
- स्वस्थ आहार अपनाएं: आहार में हरी सब्जियों, फलों, साबुत अनाज और कम वसा वाले उत्पादों* को शामिल करें। नमक और चीनी का सेवन सीमित करें।
- व्यायाम और शारीरिक गतिविधि: रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करें, जैसे योग, दौड़ना या पैदल चलना। इससे दिल मजबूत रहता है।
- तनाव प्रबंधन: मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें। ध्यान, योग और प्राणायाम से तनाव कम किया जा सकता है।
- धूम्रपान और शराब का त्याग: धूम्रपान और शराब से दूर रहें, क्योंकि ये हृदय की सेहत के लिए बेहद हानिकारक हैं।
- नींद का ध्यान रखें: रोजाना 7-8 घंटे की गहरी नींद लेना जरूरी है। इससे शरीर और दिल को आराम मिलता है।
- प्रदूषण से बचाव: बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करें और प्रदूषण से बचने की कोशिश करें।
भारत में युवाओं में हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाएं न केवल व्यक्तिगत, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी बड़ी चुनौती हैं। हालांकि सरकार कई नीतियों के जरिए स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रही है, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर सतर्कता ही सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। अगर समय रहते स्वास्थ्य की देखभाल पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या आने वाले समय में और गंभीर रूप ले सकती है। स्वस्थ जीवनशैली, नियमित जांच और तनाव प्रबंधन ही इस संकट से बचने के सबसे प्रभावी उपाय हैं।