Jharkhand Election 2024: BJP & JMM Faces

Jharkhand Election 2024: बड़े वादे, छोटा विकास।JMM कर पाएगी रिपीट?

Jharkhand Election 2024 की घोषणा हो चुकी है और राजनीतिक दलों के बीच विकास के वादों का दौर शुरू हो गया है। हर चुनाव में विकास एक प्रमुख मुद्दा होता है, लेकिन चुनावों के बीच के वर्षों में झारखंड में बुनियादी सुधारों और ठोस प्रगति पर सवाल उठते हैं। खनिज-संपदा से भरपूर यह राज्य कई आर्थिक संभावनाएं रखता है, लेकिन बेरोजगारी, कमजोर बुनियादी ढांचा, और औद्योगिक पिछड़ापन अभी भी इसकी बड़ी चुनौतियां हैं। इस लेख में हम चुनावी वादों के संदर्भ में झारखंड की अर्थव्यवस्था, रोजगार की स्थिति और सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों का विश्लेषण करेंगे, ताकि यह समझा जा सके कि क्या राजनीतिक घोषणाएं जमीन पर बदलती हकीकत में तब्दील हो पाई हैं।

अर्थव्यवस्था और GDP: विकास की रफ्तार धीमी क्यों है?

झारखंड की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खनिज संसाधनों और कृषि पर निर्भर है, जिसमें कोयला, लौह अयस्क और बॉक्साइट का प्रमुख योगदान है। 2023-24 में राज्य की GDP 3.75 लाख करोड़ रुपये रही, लेकिन इसकी विकास दर केवल 5.6% रही, जो राष्ट्रीय औसत 7.8% से कम है।

राज्य की आर्थिक विकास दर अपेक्षा से कम रहने के पीछे कई कारण हैं:

  • उद्योग और निवेश में कमी: झारखंड में औद्योगिक ढांचे का विस्तार धीमा है। बड़ी कंपनियों का निवेश अब भी सीमित है, क्योंकि निवेशकों को बुनियादी ढांचे और नीति-निर्माण में अस्थिरता की चिंता है।
  • राजस्व का असंतुलन: खनिज संसाधनों पर अत्यधिक निर्भरता के कारण राज्य के राजस्व में स्थिरता नहीं है। खनन में कमी का सीधा असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
  • सेवा क्षेत्र का पिछड़ापन: भारत के अन्य राज्यों के विपरीत, झारखंड में सेवा क्षेत्र का योगदान अपेक्षाकृत कम है, जिससे रोजगार के अवसर सीमित हैं।

सरकार ने झारखंड इंडस्ट्रियल एंड इनवेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी 2021 के तहत निवेशकों को आकर्षित करने का प्रयास किया, लेकिन नीतिगत स्थिरता और जरूरी बुनियादी ढांचे की कमी ने इन योजनाओं की प्रगति को बाधित किया है।

Jharkhand Election 2024: वादों से कितनी आगे बढ़ीं विकास परियोजनाएं?

सरकार ने चुनावी घोषणाओं में विकास को हमेशा प्रमुख एजेंडा बनाया है, लेकिन कई योजनाएं कागजों पर सिमट कर रह गई हैं। बुनियादी ढांचे, कृषि और उद्योग के मोर्चे पर जिन परियोजनाओं की घोषणा की गई थी, उनमें से अधिकांश अधूरी हैं या धीमी गति से चल रही हैं।

बुनियादी ढांचा और परिवहन विकास

  • रांची-धनबाद एक्सप्रेसवे और जमशेदपुर-बोकारो हाईवे का विस्तार अब भी अधूरा है।
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सुदूर गांवों को जोड़ने का काम हो रहा है, लेकिन योजना की प्रगति अपेक्षा से धीमी है। कई गांव अभी भी यातायात सुविधाओं से वंचित हैं।

कृषि और सिंचाई में सुधार

  • मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजन के तहत किसानों को वित्तीय सहायता दी जा रही है, लेकिन कृषि क्षेत्र में सिंचाई की समस्या अब भी गंभीर बनी हुई है।
  • 2025 तक 5 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन इसके लिए जरूरी बुनियादी ढांचे का काम समय से पीछे चल रहा है।

उद्योग और निवेश क्षेत्र का धीमा विस्तार

  • MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) सेक्टर के लिए विशेष योजनाएं शुरू की गईं, लेकिन कर्ज वितरण में कई रुकावटें हैं।
  • SEZ (विशेष आर्थिक क्षेत्र) की योजना, जिसे जमशेदपुर और बोकारो में लागू किया जाना था, अभी अधर में है, जिससे रोजगार के अवसरों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

बेरोजगारी की स्थिति: आंकड़े और हकीकत

बेरोजगारी झारखंड के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। 2023 में बेरोजगारी दर 8.1% दर्ज की गई, जो देश के औसत 7.2% से अधिक है। इसका सीधा असर युवाओं के पलायन पर दिखता है, क्योंकि वे बेहतर रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों में जा रहे हैं।

सरकारी योजनाएं और उनकी सीमाएं

  • मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत स्वरोजगार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया, लेकिन बैंकों से कर्ज वितरण में अड़चनें आने से इसका प्रभाव सीमित रहा।
  • मनरेगा के तहत ग्रामीण रोजगार बढ़ाने की कोशिशें की गईं, लेकिन यह रोजगार का केवल अस्थायी समाधान है।
  • स्किल इंडिया मिशन के तहत कौशल विकास केंद्र खोले गए, लेकिन इनका संचालन कमजोर और अप्रभावी रहा।

चुनौतियां और संभावनाएं: Jharkhand Election 2024 के बाद क्या बदलना चाहिए?

राज्य सरकार ने विकास की दिशा में कदम तो उठाए हैं, लेकिन झारखंड को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

  1. निवेश की कमी बुनियादी ढांचा और नीति-निर्माण में सुधार किए बिना बड़े निवेशकों को आकर्षित करना मुश्किल है।
  2. खनन पर निर्भरता: खनिज संसाधनों से परे अन्य उद्योगों को विकसित करना अनिवार्य है ताकि राज्य की अर्थव्यवस्था विविध हो सके।
  3. युवाओं का पलायन: स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर न बढ़ने से पलायन जारी है, जिससे राज्य के मानव संसाधनों का नुकसान हो रहा है।

आगे का रास्ता: क्या किया जाना चाहिए?

  • निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार को नीतिगत स्थिरता और बेहतर बुनियादी ढांचा प्रदान करना होगा।
  • उद्योगों का विकेंद्रीकरण और कृषि-आधारित उद्योगों की स्थापना से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं।
  • कौशल विकास में सुधार लाकर युवाओं को राज्य में ही रोजगार दिलाने के प्रयास करने होंगे।

वादों से हकीकत तक का सफर अभी भी अधूरा

झारखंड में चुनावी माहौल के बीच विकास का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन असल चुनौती इन वादों को धरातल पर लाने की है। अर्थव्यवस्था की धीमी प्रगति, बेरोजगारी और आधारभूत ढांचे की कमी राज्य के विकास की राह में बड़ी बाधाएं हैं। अगर सरकारें सिर्फ चुनावी घोषणाओं पर निर्भर रहीं और ठोस नीतिगत सुधारों पर ध्यान नहीं दिया, तो झारखंड का विकास अधूरा रह जाएगा।

अब वक्त है कि सरकारें केवल वादों से आगे बढ़कर स्थायी विकास और रोजगार सृजन की दिशा में ठोस कदम उठाएं। झारखंड को अगर देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाना है, तो आर्थिक सुधार, रोजगार के अवसर और आधारभूत ढांचे में तेज़ी से सुधार अनिवार्य है। जनता को भी इन चुनावों में केवल वादों पर नहीं, बल्कि विकास के ठोस एजेंडे पर अपना मत देना होगा।

Ashish Azad

आज़ाद पत्रकार.कॉम, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जानकारियों और उनके विश्लेषण को समझने का बेहतर मंच है। किसी भी खबर के हरेक पहलू को जानने के लिए जनता को प्रोत्साहित करना और उनमे जागरूकता पैदा करना।

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